Saturday, October 12, 2013

कहता ये अलविदा सावन है

हफ़्तों पहले की बात थी जब
तू ने दी दस्तक ख़बरों से
सब निहारते रहे आसमां
पुष्प भी पूछे भवरों से
की कब तू आएगा मेरे आँगन
उमीदों के शहरों से
मुक्त करेगा धरती को
सूखे-आकाल के पहरों से

फिर तू आया

खुशियाँ  लाया
खेतों में दिखी
खुशियों की छायाa
और अब तेरी ही बदौलत
बूंदों से भरा फिर आँगन है
बूंदों से भरा फिर आँगन है

तू सबका मेहमान था

पर तू ने की ख़ातिरदारी
कुछ पल तू सबके साथ रहा
फिर वापस जाने की तैयारी
चाहे ये आसमा की तू ठहरे
फिर है ये गुज़ारिश लहरों की
कहीं और न जा अब तू रुक जा
ये दुआ है साँझ-दोपहरों की


पर अब तुझको जाना ही है

कहीं और है तेरा इंतज़ार
जो न पहुँचा तू वहाँ अगर
वो रहेंगे फिर तो बेकरार
छोड़ के भीगी सी यादें
कहता ये अलविदा सावन है
कहता ये अलविदा सावन है

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